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विश्व सेप्सिस दिवस 13 सितंबर

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*समय पर इलाज ही बचा सकता है जान:डॉ. प्रदीप शर्मा वरिष्ठ सलाहकार एवं प्रमुख, क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग, एनएच एमएमआई सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, रायपुर द्वारा*

धमतरीं/सेप्सिस एक जानलेवा स्थिति है, जो तब होती है जब संक्रमण के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया नियंत्रण से बाहर हो जाती और अंगों को नुकसान पहुँचाती है। इसे अक्सर “रक्त विषाक्तता” कहा जाता है और यह बैक्टीरिया, फंगस, वायरस या परजीवी संक्रमणों से उत्पन्न हो सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अस्पताल में भर्ती हर छह में से एक मरीज सेप्सिस से प्रभावित होता है। 2017 में WHO ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकता घोषित किया। जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 13 सितंबर को विश्व सेप्सिस दिवस मनाया जाता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, सेप्सिस के लगभग 80% मामले अस्पताल से बाहर शुरू होते हैं और इसके सामान्य कारण निमोनिया और मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI) हैं। यदि इलाज में देर हो जाए, तो यह सेप्टिक शॉक में बदल सकता है, जिसमें रक्तचाप खतरनाक रूप से गिर जाता है और गहन देखभाल के बिना मौत भी हो सकती है।

चेतावनी संकेत:

अस्पष्ट वाणी

तेज कंपकंपी या बुखार

पेशाब का बहुत कम या बिल्कुल न आना

सांस लेने में तकलीफ़

त्वचा का धब्बेदार या रंगहीन होना

अचानक मृत्यु का आभास

समय पर इलाज क्यों ज़रूरी?

शोध बताते हैं कि एंटीबायोटिक्स देने में हर घंटे की देरी से मृत्यु दर 6% तक बढ़ जाती है। देर से अस्पताल पहुँचने वाले मरीजों में गंभीर जटिलताएँ और इलाज का खर्च दोनों ही बढ़ जाते हैं।

कौन हैं अधिक जोखिम में?

मधुमेह के मरीज (खासकर जब शुगर नियंत्रण में न हो)

कैंसर का इलाज करा रहे लोग

अंग प्रत्यारोपण कराए मरीज

रोकथाम कैसे करें?

नियमित रूप से हाथ धोएँ

घावों की सही देखभाल करें

भीड़भाड़ वाली जगहों और बीमार व्यक्तियों से दूरी बनाएँ

ज़रूरत पड़ने पर मास्क पहनें

संदेश:

सेप्सिस से बचाव और इलाज का सबसे बड़ा हथियार है—समय पर पहचान और तुरंत उपचार। सही एंटीबायोटिक दवाएँ, त्वरित अस्पताल पहुँच और उचित चिकित्सा देखभाल जीवन और मृत्यु के बीच का फर्क तय कर सकती है।

इस विश्व सेप्सिस दिवस पर आइए संकल्प लें कि जागरूकता फैलाएँगे और संक्रमण को हल्के में नहीं लेंगे—क्योंकि समय पर कार्रवाई ही जीवन बचा सकती है।

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