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छत्तीसगढ़ में बढ़ता अपराध का ग्राफ और धमतरी में नशे का कहर: कानून व्यवस्था पर सवाल

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छत्तीसगढ़ में हाल के दिनों में लगातार बढ़ते अपराधों ने प्रदेश को हिला कर रख दिया है। चाकूबाजी, लूटपाट, दुराचार और हत्या जैसे जघन्य अपराध आम हो गए हैं।धमतरीं जिले में भी यही है हाल।

छत्तीसगढ़ में हाल के दिनों में लगातार बढ़ते अपराधों ने प्रदेश को हिला कर रख दिया है। चाकूबाजी, लूटपाट, दुराचार और हत्या जैसे जघन्य अपराध आम हो गए हैं। प्रदेश की सत्ताधारी साय सरकार अपराधों पर अंकुश लगाने में विफल नजर आ रही है, जिससे आम जनता भय के माहौल में जीने को मजबूर है। बलौदाबाजार की घटना और कवर्धा हत्या कांड जैसे मामलों ने राज्य में कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही, धमतरी में नशे का दौर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे समाज का ताना-बाना बिगड़ता जा रहा है।

अपराध का बढ़ता ग्राफ:
छत्तीसगढ़ में पिछले 10 महीनों में अपराध के मामलों में खतरनाक वृद्धि देखी गई है। लूट, चोरी, चाकूबाजी और हत्याओं के मामलों की खबरें आए दिन अखबारों की सुर्खियां बन रही हैं। खासतौर पर महिलाओं और बच्चियों के साथ हो रहे दुराचार के मामलों ने प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। हाल ही में 4 साल की मासूम बच्ची के साथ हुई दर्दनाक घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है।

धमतरी में नशे का कहर:
धमतरी जिले में नशे का प्रकोप दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। पुलिस प्रशासन की नाकामी के चलते नशे के सौदागर बेखौफ होकर अपने काम में लगे हुए हैं। छोटे-मोटे नशेड़ियों को पकड़ कर पुलिस अपनी पीठ थपथपाने में लगी हुई है, जबकि बड़े नशे के कारोबारियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। जनता का आरोप है कि पुलिस प्रशासन छोटे मामलों को बड़ा बनाकर वाहवाही लूट रहा है, जबकि असली अपराधी आराम से अपने धंधे चला रहे हैं।

जिला पुलिस प्रशासन पर सवाल:
प्रदेश के जिलों, खासकर धमतरी, में पुलिस कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। जिले में लगातार बढ़ रहे अपराधों और नशे के कारोबार पर लगाम लगाने में पुलिस नाकाम साबित हो रही है। अपराधियों और नशे के व्यापारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई न होने के चलते उनका हौसला बढ़ता जा रहा है। लोगों के बीच यह डर है कि कब और कहां किसके साथ कोई बड़ी घटना घट सकती है। जनता अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है, और पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता पर प्रश्नचिन्ह लगा रही है।

सरकार की विफलता:
10 महीने की साय सरकार के शासन में छत्तीसगढ़ अपराध और नशे का गढ़ बन चुका है। सरकार द्वारा किए गए तमाम दावों के बावजूद अपराधों और नशे में कोई कमी नहीं आ रही है। नैतिकता के आधार पर, प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को जनता के समक्ष जवाबदेही लेनी चाहिए। जनता की मांग है कि अपराधों पर अंकुश लगाने में विफल रहने पर दोनों को इस्तीफा देना चाहिए ताकि छत्तीसगढ़ की जनता को न्याय मिल सके।

निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ की जनता, विशेष रूप से धमतरी के लोग, नशे और अपराध की बढ़ती घटनाओं से भयभीत और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसे में जरूरत है कि पुलिस और प्रशासन अपराधियों और नशे के सौदागरों के खिलाफ सख्त कदम उठाएं। प्रदेश में शांति और सुरक्षा का माहौल वापस लाने के लिए ठोस उपाय किए जाने चाहिए। जनता को न्याय मिलना चाहिए और सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।

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