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ईडी पर धमतरीं विधायक ने लगाए गम्भीर आरोप

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*ईडी की रेड और तमनार के जंगलों की लूट: ओंकार साहू ने कहा यही भाजपा सरकार की कालीकरतूत*

धमतरी/ विधायक ओंकार साहू ने केंद्र सरकार पर विपक्ष की आवाज़ को दबाने और लोकतंत्र को कमजोर करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लगातार लोकतांत्रिक मर्यादाओं का उल्लंघन करते हुए केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई और उनके पुत्र चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को उन्होंने “अलोकतांत्रिक और राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित” बताया।

विधायक साहू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस षड्यंत्र के खिलाफ चुप नहीं बैठेगी और भाजपा के हर दमनकारी प्रयास का कड़ा विरोध करेगी। उन्होंने दोटूक शब्दों में कहा:

> “हम न डरेंगे, न झुकेंगे, न रुकेंगे।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह कार्रवाई केवल विपक्ष को डराने के लिए नहीं, बल्कि जनहित के मुद्दों को दबाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि रायगढ़ जिले के तमनार जंगल में अडानी समूह को अवैध तरीके से  भूमि हस्तांतरित किए जाने के मुद्दे को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा विधानसभा में उठाया जाना था, लेकिन उसी दिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निवास  व उनके बेटे चैतन्य बघेल पर ED की कार्रवाई करवा कर केंद्र सरकार ने इस मुद्दे से विधानसभा का ध्यान भटकाने की कोशिश की। विधायक साहू ने रायगढ़ जिले के तनवार ब्लॉक के जंगलों में हुई 5000 से अधिक पेड़ों की अवैध कटाई पर सरकार और अडानी समूह को आड़े हाथों लिया। उन्होंने खुलासा किया कि 26-27 जून को मुड़ागांव व सरायटोला गांव में कोल ब्लॉक के नाम पर जबरदस्त पुलिस सुरक्षा में जंगलों को उजाड़ा गया, जबकि यह मामला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में विचाराधीन है । उन्होंने कहा भाजपा सरकार बिना अनुमति व फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव के जरिये अडानी समूह के हाथो रायगढ़ के जंगल को काटने में तुली हुई है | 

उन्होंने  कहा ग्राम सभा प्रस्ताव में “जय शंकर राठीया” का हस्ताक्षर पाया गया, जबकि इस नाम का कोई व्यक्ति इन गांवों में मौजूद ही नहीं।फिर भी 2000 से अधिक पुलिस बल के साथ 500 अडानी समूह कर्मचारी मुड़ागांव के जंगल पहुंचे, पेड़ों की कटाई  बर्बरता पूर्वक की। साथ ही साथ  ग्रामीणों के आंदोलन को  पुलिस बल के ज़रिए दबाई गई। ओंकार साहू नें कहा तनवार में केवल जंगल नहीं कट रहे, बल्कि ग्रामवासियों की आजीविका, पर्यावरण और लोकतांत्रिक अधिकारों की भी हत्या हो रही है।

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