जन संस्कृति मंच (जसम) रायपुर इकाई द्वारा आयोजित एक गरिमामयी श्रद्धांजलि सभा में वरिष्ठ शायर ज़िया हैदरी को स्मरण करते हुए उनके काव्य व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तृत चर्चा की गई

रायपुर, छत्तीसगढ़ | जन संस्कृति मंच (जसम) रायपुर इकाई द्वारा आयोजित एक गरिमामयी श्रद्धांजलि सभा में वरिष्ठ शायर ज़िया हैदरी को स्मरण करते हुए उनके काव्य व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तृत चर्चा की गई। यह आयोजन स्थानीय वृंदावन हॉल में संपन्न हुआ, जिसमें साहित्य, पत्रकारिता और कला जगत के अनेक प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने भाग लिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर एवं ज़िया हैदरी के अनुज राज़ा हैदरी ने की। इस अवसर पर ख्यात साहित्यकार फ़ज़्ले अब्बास सैफ़ी, सुख़नवर हुसैन, मीसम हैदरी, आलिम नक़वी, आफ़ाक अहमद ने ज़िया हैदरी की शायरी की विविध परतों पर विचार प्रस्तुत किए। वक्ताओं ने उनके शेरों और ग़ज़लों के उदाहरणों के माध्यम से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
चर्चा में यह विचार प्रमुख रूप से सामने आया कि ज़िया हैदरी का रचनात्मक योगदान उर्दू-हिंदी साहित्य में विशेष महत्व रखता है, किंतु उनके काव्य-संग्रह का अब तक प्रकाशन न होना साहित्यिक समुदाय के लिए चिंता का विषय है। वक्ताओं ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव रखा कि शीघ्र ही उनके काव्य संग्रह को हिंदी एवं उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित करने हेतु सामूहिक प्रयास किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, जसम की साहित्यिक पत्रिका प्रतिसंसार का एक विशेषांक ज़िया हैदरी पर केंद्रित करने का भी निर्णय लिया गया।
ज़िया हैदरी की शायरी की विशेषता यह रही कि उन्होंने सहज और संप्रेषणीय भाषा में गहन भावों की अभिव्यक्ति की। उनकी रचनाओं में समकालीन जीवन की विडंबनाओं, संघर्षों और संवेदनाओं की गहरी पड़ताल मिलती है। उनकी शायरी भारतीय समाज की उस साझा भाषाई जमीन से उपजी है, जो हिंदी और उर्दू दोनों के करीब है और आम जनमानस की भाषा है।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर सचिन इंद्र कुमार राठौर ने आयोजकों, प्रतिभागियों और श्रोताओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर फिल्मकार, लेखक अमीर हाशमी ने भी ज़िया हैदरी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ट्विट किया –
“ज़िया हैदरी साहब की शायरी संवेदना, सामाजिक चेतना और सौंदर्यबोध का बेजोड़ संगम है। उन्होंने जिस भाषाई सौम्यता और वैचारिक गहराई से कलम चलाई, वह हमारे साहित्यिक परंपरा की अमूल्य धरोहर है। जसम रायपुर के इस सादर आयोजन को विनम्र अभिवादन और ज़िया साहब को श्रद्धांजलि।”
श्रद्धांजलि सभा में नगर के अनेक प्रबुद्ध नागरिक, साहित्य प्रेमी, युवा रचनाकार और पत्रकार भी उपस्थित रहे। यह आयोजन न केवल ज़िया हैदरी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन का अवसर था, बल्कि नई पीढ़ी के लिए भी एक प्रेरक सांस्कृतिक संवाद बन गया।