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अज़ीम प्रेमजी इंग्लिश मीडियम स्कूल में लगा बाल शोध मेला

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विभिन्न विषयों पर विद्यार्थियों ने लगाया स्टॉल 28 नवंबर को ग्राम शंकरदाह स्थित अज़ीम प्रेमजी इंग्लिश मीडियम स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूल में बाल शोध मेले का सफल आयोजन किया गया।

धमतरीं/विभिन्न विषयों पर विद्यार्थियों ने लगाया स्टॉल

28 नवंबर को ग्राम शंकरदाह स्थित अज़ीम प्रेमजी इंग्लिश मीडियम स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूल में बाल शोध मेले का सफल आयोजन किया गया। इस मेले का मुख्य उद्देश्य बच्चों में खोज, जिज्ञासा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना था। कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने विभिन्न विषयों पर अपने शोध कार्य को मॉडल, चार्ट और गतिविधियों के माध्यम से अन्य विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा समुदाय के लोगों के सामने प्रस्तुत किया।

इस आयोजन में समीपवर्ती शासकीय विद्यालयों के विद्यार्थियों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतिभागी विद्यालयों में अज़ीम प्रेमजी इंग्लिश मीडियम स्कूल, शासकीय माध्यमिक शाला कंडेल, शासकीय हाई स्कूल झिरिया, शासकीय माध्यमिक शाला नवागांव, शासकीय माध्यमिक शाला सांकरा, शासकीय माध्यमिक शाला अधारी नवागांव, अकादमिक कार्य समन्वयक समग्र शिक्षा धमतरी, संकुल अकादमिक समन्वयक-कंडेल, कुकरेल शामिल थे।

बाल शोध मेला में बच्चों ने भाषा, अंग्रेज़ी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, संगीत, खेल और पुस्तक मेले के कॉर्नरों में अपनी प्रतिभा शोध को प्रदर्शित की। विशेष आकर्षण रहा विज्ञान कॉर्नर, जहाँ विद्यार्थियों ने ग्रीन हाइड्रोपोनिक चारा (बिना मिट्टी की खेती), एल्केलॉइड आधारित प्राकृतिक कीटनाशक निर्माण और उस पर सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके अलावा विज्ञान का जादू, हाइड्रोलिक लिफ्ट, वोकल विज़ुअलाइज़र, इलेक्ट्रिक सर्किट, पर्यावरण-अनुकूल परियोजनाएँ, पौधे उगाने योग्य पेन, उर्वरक उपयोग पर सर्वेक्षण और बीज भंडारण की नवीन तकनीकें भी प्रदर्शित की गईं।

बाल शोध मेले में विद्यार्थियों ने अंग्रेज़ी विषय पर चार्ट और मॉडल के माध्यम से शब्दावली, व्याकरण, भाषा सीखने के खेल और पहेलियाँ प्रस्तुत कीं। छोटे और बड़े सभी बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और पूरे आत्मविश्वास के साथ अंग्रेज़ी में अपने मॉडल प्रस्तुत किए।

हिंदी कॉर्नर में विद्यार्थियों ने प्रकृति से जुड़े मानव जीवन के सुख और संतुलन को एक सुसंयोजित मॉडल द्वारा प्रस्तुत किया। निर्मला पुतुल की कविता ‘बूढ़ी पृथ्वी का दुःख’ से प्रेरित दूसरी प्रस्तुति में पर्यावरणीय संकट और प्रदूषण के दुष्प्रभावों को प्रभावशाली ढंग से दर्शाया गया। दोनों मॉडलों ने यह संदेश दिया कि प्रकृति का संरक्षण ही मानवता के अस्तित्व की अनिवार्य शर्त है। इसके अलावा व्याकरण पर आधारित वर्ण, संज्ञा, विराम-चिह्न और समास विषयक मॉडल भी प्रदर्शित किए गए।

आर्ट कॉर्नर में छात्रों ने प्राकृतिक रंगाई पर शोध करते हुए हरड़, खैर, मंजिष्ठा और हल्दी जैसी सामग्री से टाई-एंड-डाई तकनीकों का प्रयोग किया। साथ ही मधुबनी, वारली, गोंड, लिप्पन, चाकू चित्रकारी, कढ़ाई, बुनाई और मिक्स मीडिया जैसी शैलियों में अपनी कलाकृतियाँ प्रदर्शित कीं। सभी ने उत्साह और आत्मविश्वास के साथ अपनी रचनाएँ समझाईं।

सोशल साइंस कॉर्नर में छात्रों ने मिनी म्यूज़ियम में लैंप, लालटेन, सिक्के, कैमरे, हथियार और फोटो फ्रेम जैसी पुरानी वस्तुएँ प्रदर्शित कीं। आदिवासी शोध प्रदर्शनी में गोंड, बैगा, कमार और कोरवा जनजातियों की संस्कृति को मॉडल, चार्ट और पारंपरिक नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। साथ ही मौलिक अधिकारों को प्रभावशाली मॉडल द्वारा समझाया गया।

स्पोर्ट्स कॉर्नर में पारंपरिक, अर्ध-आधुनिक और आधुनिक खेलों की रोचक श्रृंखला प्रस्तुत की गई। सबसे आकर्षक रहा गेड़ी का खेल, जिसे बच्चों के साथ हर उम्र के लोगों ने उत्साह से खेला। हुला हूप, रस्सी कूद, रिंग गेम, कबड्डी, कुश्ती, क्रिकेट और भारतीय महिला क्रिकेट टीम पर आधारित थीम ने भी दर्शकों को मोहित किया। बच्चों ने खेलों के लाभ और पोषण संबंधी सुझाव—जैसे खेल के बाद पानी पीना, फल खाना और आराम करना—भी साझा किए। दर्शकों ने सक्रिय भागीदारी कर बच्चों की रचनात्मकता और सीखने की जिज्ञासा की सराहना की।

म्यूज़िक कॉर्नर बच्चों की रचनात्मकता और सांस्कृतिक समझ का जीवंत प्रदर्शन था। इसकी खासियत थी अनुपयोगी सामग्री से बनाए गए वाद्य यंत्र, जो “बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट” की अवधारणा को दर्शाते थे। बच्चों ने इन यंत्रों को उपहार में दिया और उनकी निर्माण प्रक्रिया तुरंत प्रदर्शित की। छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति पर आधारित प्रस्तुति, पारंपरिक वाद्य यंत्रों की झलक और लोक गीतों का संग्रह भी आकर्षण का केंद्र रहा। अनुभव को रोचक बनाने के लिए संगीतमय ब्रेनस्टॉर्मिंग गेम आयोजित किया गया, जिसने सभी को सहभागिता और आनंद से भर दिया।

मैथ्स कॉर्नर में बच्चों ने रोचक शोध प्रस्तुत किए, जिनमें 100 साल का जादुई कैलेंडर और साबुन फिल्म से न्यूनतम पथ का मॉडल शामिल था। शॉर्टकट लूडो, नंबर मैजिक और इनसाइड-आउटसाइड गेम ने दर्शकों को खूब आनंदित किया। भिन्न और खेती-उर्वरक डेटा एनालिसिस भी प्रदर्शित किया गया। कोनिग्सबर्ग ब्रिज समस्या और हनोई टावर आधारित पज़ल्स आकर्षण का केंद्र रहे।

पुस्तकालय कॉर्नर में विभिन्न विषयों की पुस्तकों के साथ-साथ पुस्तक अंताक्षरी और “ढूंढो तो जानो” जैसे खेलों ने आकर्षित किया। इस कॉर्नर का उद्देश्य पढ़ने की आदत को बढ़ावा देना और लोगों को पुस्तकों, समाचार पत्रों व पत्रिकाओं से परिचित कराना था।

कार्यक्रम में आसपास के सरकारी स्कूलों के शिक्षक, विद्यार्थी और समुदाय के लोग, साथ ही अज़ीम प्रेमजी स्कूल के शिक्षक-विद्यार्थी, अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के छात्र, अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन के सदस्य और अज़ीम प्रेमजी हैल्थ प्रोग्राम के सदस्यों ने भी प्रतिभागिता की। बाल शोध मेले का समापन बच्चों को प्रमाणपत्र वितरण के साथ हुआ। समापन सत्र में सभी विद्यालयों के शिक्षकों ने अपने विचार साझा किए। मेले की सफलता में सभी का सहयोग सराहनीय रहा।

भवदीय

प्राचार्य

अज़ीम प्रेमजी इंग्लिश मीडियम स्कूल

ग्राम – शंकरदाह धमतरी

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