छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने धमतरी के जिला दण्डाधिकारी द्वारा हेमेन्द्र सिंह राजपूत के खिलाफ जारी जिला बदर आदेश पर रोक लगाते हुए कलेक्टर को 19 अगस्त 2025 को व्यक्तिगत रूप से शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है।

बिलासपुर/छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने धमतरी के जिला दण्डाधिकारी द्वारा हेमेन्द्र सिंह राजपूत के खिलाफ जारी जिला बदर आदेश पर रोक लगाते हुए कलेक्टर को 19 अगस्त 2025 को व्यक्तिगत रूप से शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश हेमेन्द्र सिंह राजपूत, जो ईरा फिल्म प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड और PVB फिल्ड प्रोडक्शन के जनरल मैनेजर हैं, के खिलाफ धमतरी पुलिस और प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई की वैधानिकता पर सवाल उठाता है।

मामले का विवरण
धमतरी के थाना प्रभारी और पुलिस अधीक्षक द्वारा प्रस्तुत आपराधिक रिकॉर्ड और प्रतिवेदन के आधार पर जिला दण्डाधिकारी, धमतरी ने आपराधिक प्रकरण क्रमांक 20241113010002/2024-25 में 14 फरवरी 2025 को हेमेन्द्र सिंह राजपूत को धमतरी, रायपुर, दुर्ग, बालोद, कांकेर, कोण्डागांव और गरियाबंद की राजस्व सीमाओं से बाहर करने का आदेश पारित किया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए मिश्रा चेम्बर, रायगढ़ के सीनियर एडवोकेट अशोक कुमार मिश्रा ने छत्तीसगढ़ शासन के गृहमंत्रालय में अपील दायर की थी।
गृहमंत्रालय के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार पिंगुआ के समक्ष लिखित और मौखिक तर्क प्रस्तुत किए गए, लेकिन 27 जून 2025 को अपील खारिज कर जिला दण्डाधिकारी के आदेश की पुष्टि कर दी गई। इसके बाद, मिश्रा चेम्बर, रायगढ़ ने एडवोकेट हरि अग्रवाल के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, बिलासपुर में WPCR No. 454/2025 दायर की।
हाईकोर्ट में उठाए गए प्रमुख बिंदु
एडवोकेट हरि अग्रवाल ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि जिला दण्डाधिकारी की आर्डरशीट के अनुसार, 24 जनवरी 2025 को कलेक्टर भ्रमण पर थे। ऐसे में, उस तारीख को गवाहों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया संदिग्ध है। इसके अलावा, हेमेन्द्र सिंह को गवाहों के प्रतिपरीक्षण का अवसर नहीं दिया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। इन महत्वपूर्ण विसंगतियों पर विचार किए बिना गृहमंत्रालय ने अपील खारिज कर दी, जो प्रक्रियात्मक अनियमितता को दर्शाता है।
हाईकोर्ट का निर्णय
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इन बिंदुओं को गंभीरता से लेते हुए जिला दण्डाधिकारी, धमतरी को 19 अगस्त 2025 को व्यक्तिगत शपथपत्र दाखिल करने का आदेश दिया। साथ ही, जिला दण्डाधिकारी और गृहमंत्रालय के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी गई। यह निर्णय प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
एडवोकेट अशोक मिश्रा की प्रतिक्रिया
एडवोकेट अशोक कुमार मिश्रा ने बताया कि धमतरी पुलिस द्वारा कलेक्टर के समक्ष पेश की गई आपराधिक सूची में कई मामले हेमेन्द्र सिंह से संबंधित नहीं थे। पुलिस ने इन रिकॉर्ड्स को पेश करने से बचने के लिए दावा किया कि वे जल गए हैं, जो एक झूठा स्पष्टीकरण है। मिश्रा ने यह भी बताया कि हेमेन्द्र सिंह भारतीय दण्ड संहिता की गंभीर धाराओं के तहत दर्ज मामलों में न्यायालय से दोषमुक्त हो चुके हैं और केवल एक मामले में उन पर मामूली जुर्माना लगाया गया था।
उन्होंने कहा, “हेमेन्द्र सिंह कोई खतरनाक अपराधी नहीं, बल्कि एक शिक्षित नवयुवक और छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग से जुड़ा एक जिम्मेदार व्यक्ति है। यह आदेश न्याय के जीवंत होने का प्रमाण है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गृहमंत्रालय ने इन बिंदुओं पर विचार किए बिना अपील खारिज कर दी।”
सामाजिक प्रभाव
एडवोकेट मिश्रा ने इस मामले को सामाजिक दृष्टिकोण से भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि युवाओं को रचनात्मक और राष्ट्रहित की दिशा में प्रेरित करने के बजाय, जिला बदर जैसे कदम उन्हें अपराध की ओर ढकेल सकते हैं। यह कल्याणकारी राज्य के सिद्धांतों के विपरीत है।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का यह आदेश दोषपूर्ण प्रशासनिक निर्णयों पर अंकुश लगाने और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को बनाए रखने की दिशा में एक मील का पत्थर है। यह न केवल हेमेन्द्र सिंह राजपूत के लिए, बल्कि उन सभी के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो अन्यायपूर्ण प्रशासनिक कार्रवाइयों का सामना कर रहे हैं।