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ज़फ़र इक़बाल क़ादरी झरिया:(समाजसेवी) संघर्ष, सेवा और समाज निर्माण की मिसाल

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ज़फ़र इक़बाल क़ादरी झरिया का जीवन संघर्ष, सेवा और समर्पण का अनुपम उदाहरण है। उन्होंने न केवल धार्मिक क्षेत्र में बल्कि सामाजिक और व्यावसायिक जगत में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है।

धनबाद/ज़फ़र इक़बाल क़ादरी झरिया का जीवन संघर्ष, सेवा और समर्पण का अनुपम उदाहरण है। उन्होंने न केवल धार्मिक क्षेत्र में बल्कि सामाजिक और व्यावसायिक जगत में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। तमाम कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने समाज के उत्थान के लिए लगातार काम किया और कई संस्थाओं के निर्माण और संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी पहलें और संगठनात्मक प्रयास आज भी समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।

व्यावसायिक संघर्ष और सामाजिक योगदान

ज़फ़र इक़बाल क़ादरी ने अपने करियर की शुरुआत एल आई सी एजेंट के रूप में की, जहां से उन्होंने अपने कौशल को निखारा। और जेड एम क्लब मेंबर मल्टी करोड़पति अभिकर्ता एवं गोल्ड मेडलिस्ट अभिकर्ता बनकर कीर्तिमान रचा । इसके बाद वे बजाज अलायंस में डेवलपमेंट ऑफिसर बने और अपनी मेहनत से रिलायंस में असिस्टेंट ब्रांच मैनेजर के पद तक पहुंचे। लेकिन गंभीर बीमारी के कारण उन्हें इस पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और बीमारी से जूझते हुए बी एम सीटी गोविंदपुर प्रोजेक्ट की स्थापना की, ताकि समाज को एक सुव्यवस्थित कॉलोनी मिल सके। इस प्रोजेक्ट में उन्होंने 26 फीट चौड़ी मुख्य सड़क का निर्माण कराया, जहां लोग बड़ी संख्या में आकर बसने लगे और प्रोजेक्ट सफल रहा।

धार्मिक और सामाजिक संस्थानों में भूमिका

ज़फ़र इक़बाल क़ादरी ने झरिया में दावत-ए-इस्लामी के सहयोग से मदरसा फैजाने बुरहानी मिल्लत और धनबाद में जामिया फैजाने बुरहानी मिल्लत की स्थापना की। ये संस्थान इस्लामी शिक्षा के प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वे दावत-ए-इस्लामी झारखंड के मदरसों और मस्जिदों के प्रबंधन और वित्तीय ऑडिट के अधिकारी भी रहे। उन्होंने झारखंड के विभिन्न जिलों में धार्मिक जलसों का आयोजन कराया और हुजूर बुरहानी मिल्लत जबलपुर रहमतुल्ला तलाई लेकर निस्बत से होने वाली सैलानी जल से में लगभग 10 से जायद जलसे को उन्होंने अपने देख रेख में कराई और इनमें प्रमुख भूमिका निभाई। उनकी कड़ी मेहनत और नेतृत्व ने इन जलसों को सफल बनाया।

संगठनात्मक और वैश्विक पहचान

ज़फ़र इक़बाल क़ादरी विभिन्न प्रतिष्ठित संगठनों के संरक्षक और सलाहकार रहे हैं। वे नौजवान एकता फाउंडेशन शमशेर नगर और सबील ए हुसैन ट्रस्ट धनबाद जैसे कई सामाजिक संस्थाओं के संरक्षक हैं। इसके साथ ही वे फ्रेंड्स ऑफ़ CMC वेल्लोर, नेशनल ह्यूमन राइट्स और सेंट्रल विजिलेंस कमीशन की एडवाइजरी कमेटी के सदस्य भी रहे हैं। उनका जुड़ाव इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स और ऑल इंडिया क्राइम रिफॉर्मर ऑर्गनाइजेशन से भी रहा है। उन्होंने भारतीय जीवन धारा एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से समाज में सुधार के लिए कई परियोजनाएं चलाईं।

आध्यात्मिक मार्गदर्शन और संगठन निर्माण

ज़फ़र इक़बाल क़ादरी का आध्यात्मिक संबंध जबलपुर के मुफ्ती-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद महमूद-ए-मिल्लत से रहा, जो हुज़ूर बरहाने मिल्लत के साहबजादे और हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ (रज़ि.अ.) के वंशज हैं। उन्होंने उनसे मार्गदर्शन हासिल की और उनके मार्गदर्शन में अपने जीवन की कठिनाइयों को पार किया। उनके नेतृत्व में धनबाद में खानकाह-ए-सिद्दीक़ी के हज़ारों मुरीदों को(1999 से 2011 तक) संगठित कर समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा दिया।
स्वास्थ्य सेवा में योगदान और कठिनाइयां

ज़फ़र इक़बाल क़ादरी ने समाज को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक हॉस्पिटल(बी एम नर्सिंग होम प्राइवेट लिमिटेड) की भी स्थापना की। उनका उद्देश्य था कि धनबाद और आसपास के लोगों को उच्च स्तरीय चिकित्सा सेवाएं सुलभ हों। और इसमें वह सफलता भी प्राप्त कर रहे थे लेकिन, दुर्भाग्यवश, कुछ चुनौतियों और अन्य कठिनाइयों के कारण यह प्रोजेक्ट लंबे समय तक नहीं चल पाया और अंततः बंद करना पड़ा।

धार्मिक और सामाजिक सेवाओं में अग्रणी भूमिका

ज़फ़र इक़बाल क़ादरी ने न केवल व्यावसायिक और स्वास्थ्य सेवा में योगदान दिया, बल्कि धार्मिक और सामाजिक क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण कार्य किए। वे झरिया में दावत-ए-इस्लामी के साथ मिलकर मदरसा फैजाने बुरहानी मिल्लत की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, उन्होंने धनबाद में जामिया फैजाने बुरहानी मिल्लत की नींव रखी, जो एक प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान है। उन्होंने हुजूर बुरहानी मिल्लत के निस्बत से होने वाले लगभग 10 बड़े जलसे को ऑर्गेनाइज किया और जबलपुर से हुजूर महमूद ए मिल्लत के झरिया अहमद पर कई बार अगुवाई की और बखूबी लोगों को जोड़ने में और खान का की दावत को पहुंचने में कामयाब रहे।
धार्मिक संगठनों में उनकी सक्रियता सिर्फ संस्थान स्थापित करने तक सीमित नहीं रही। वे झारखंड में दावत-ए-इस्लामी के मदरसों और मस्जिदों के प्रबंधन और फाइनेंस ऑडिट के अधिकारी भी रहे। उनकी कड़ी मेहनत और सूझबूझ ने उन्हें इस्लामी संगठनों का एक मजबूत स्तंभ बना दिया। दावत-ए-इस्लामी के संग उन्होंने कई जलसों का आयोजन कराया, जिनमें उन्होंने न केवल व्यवस्थापक की भूमिका निभाई बल्कि इन जलसों को सफल बनाने में अहम योगदान दिया।

संगठनात्मक और वैश्विक पहचान

ज़फ़र इक़बाल क़ादरी विभिन्न प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से जुड़े रहे। वे इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स और नेशनल ह्यूमन राइट्स के सदस्य रहे। इसके साथ ही उन्होंने ऑल इंडिया क्राइम रिफॉर्मर ऑर्गनाइजेशन और भारतीय जीवन धारा एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से भी समाज में सुधार लाने का प्रयास किया। उनका जुड़ाव विश्व मुस्लिम बोर्ड से भी रहा और यूनिसेफ के भी मेंबर रहे, जिससे उनकी अंतर्राष्ट्रीय पहचान और साख को बल मिला।

सदाकत काउंसिल ऑफ इंडिया और भविष्य की योजनाएं

ज़फ़र इक़बाल क़ादरी सदाकत काउंसिल ऑफ इंडिया के संस्थापक हैं, जिसका उद्देश्य अपने समाज को संगठित करना और उन्हें शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में आगे बढ़ाना है। उनका लक्ष्य एंग्लो-अरेबिक यूनिवर्सिटी की स्थापना करना है, जो आधुनिक और इस्लामी शिक्षा का संगम होगी। वे इस उद्देश्य को साकार करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं और अपने संसाधनों को इस दिशा में केंद्रित कर रहे हैं।

परिवार और शिक्षा के प्रति समर्पण

अपने निजी जीवन में भी ज़फ़र इक़बाल क़ादरी ने कठिनाइयों के बावजूद अपने परिवार की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। उन्होंने न केवल अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाई, बल्कि अपनी पत्नी को भी प्रोफेशनल शिक्षा दिलाकर बिहार में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर स्थापित किया। वे आज भी अपने बच्चों की शिक्षा और विकास के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं और उनकी उन्नति के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
ज़फ़र इक़बाल क़ादरी!
का जीवन संघर्ष, सेवा, और समर्पण की मिसाल है। उन्होंने न केवल अपने व्यावसायिक जीवन में सफलता प्राप्त की, बल्कि धार्मिक और सामाजिक कार्यों में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी कड़ी मेहनत और समाजसेवा के प्रति समर्पण ने उन्हें एक प्रेरणास्रोत बना दिया है।

उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर इरादे मजबूत हों और सेवा का जज़्बा दिल में हो, तो हर चुनौती को पार कर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। उनकी पहलें और संगठनात्मक प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी।

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