सिंचाई विभाग द्वारा नहर लाइनिंग माइनर कार्य में निभाई जा रही मात्र औपचारिकता गुणवत्ताहीन कार्य कर भ्रष्टाचार को दे रहे अंजाम..
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला में इन दिनों जल संसाधन विभाग द्वारा मनमानी जारी है, जहां मानक और स्तर हीन सामग्रियों का प्रयोग कर कमीशन खाने के चक्कर में घटिया कार्य को अंजाम दे रहें हैं, वहीं कार्य स्थल में नागरिक सूचना पटल बोर्ड भी नहीं लगाया गया है।
पूरा मामला धमतरी जिला में जल संसाधन विभाग कोड 38 के द्वारा नवीनीकरण और मरम्मत कंवर हट लाइनिंग, शाखा का कार्य कराया जा रहा है नहर निर्माण में स्तरहीन गिट्टी, सीमेंट का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही बिना वाइब्रेटर चलाए निर्माण किया जा रहा है। जिससे आने वाले पहली बरसात में ही नहर में दरारें आ जाएगी और जल्द ही टूटकर पानी में बह जानें की संभावनाएं हैं,किसानों की खेतों तक पर्याप्त पानी पहुंचाने के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा माइनर नहरों का विस्तार करते हुए नए माइनर व शाखा का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
मगर इसमें गुणवत्ता की अनदेखी की जा रही है।
इसके चलते इसका लाभ किसानों को नहीं मिल पाएगा और अंतिम छोर के खेतों तक नहर का पानी नहीं पहुंच पाएगा। ऐसे में करोड़ों रूपए खर्च का भी कोई फायदा किसानों को नहीं मिलेगा।
संबंधित अधिकारी व इंजीनियर के द्वारा निर्माण कार्य का निरीक्षण ही नहीं किया जाता हैं। जिससे नहर निर्माण भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ रहा हैं ।
नहर निर्माण में निभाई जा रही औपचारिकता ,
कमजोर बेस के कारण निर्माणाधीन नहर में दरारें आ रही है, किसान नेता और ग्रामीणों ने निर्माण कार्य का जायजा लेकर बताया कि 8 इंच का बेस होना चाहिए। लेकिन ठेकेदार द्वारा नाम मात्र का 5 से 6 इंच का बेस डाला जा रहा है। निर्माण सामग्री का उपयोग भी पर्याप्त मात्रा में न कर अनियमितता की जा रही है। इससे नहर में दरारें आएगी और पानी रिसाव होने से नहर टूटने की संभावना रहेगी। नहर टूटने से शासन की राशि बर्बाद होगी साथ ही किसानों की फसल भी चौपट हो सकती है।
भ्रष्टाचार का नजारा कंवर ,में देखने मिला जहां घटिया सीमेंट व गिट्टी से निर्माण उखाड़ने लगा।
निर्माण स्थल से सूचना समरी बोर्ड गायब.
राज्य सरकार का नियम है कि किसी भी प्रकार के शासकीय निर्माण कार्य में मानक सूचना पटल बोर्ड लगाना अनिवार्य है। जिससे आम नागरिकों को उक्त निर्माण कार्य की लागत, मापदंड, संबंधित ठेकेदार के फर्म व संबंधित अधिकारियों का नाम नंबर और संबंधित इंजीनियर, एसडीओ का नाम नंबर पता चले। लेकिन ठेकेदार द्वारा भ्रष्टाचार करते हुए नहर निर्माण कार्य तो तीव्र गति से चलाया जा रहा है लेकिन ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य के दौरान मानक बोर्ड नही लगाया गया है जिस पे स्थानीय लोगो और जनप्रतिनिधियों ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह लगाया है। इस मामले में जल संसाधन प्रबंध संभाग कोड न 38 के कार्यपालन अभियंता और एडीओ से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकीन फोन कॉल नहीं उठाया गया, वहीं जनकारी मुताबिक़ ईई के बगैर पूछे किसी भी प्रकार के दस्तावेज़ को मीडिया या किसी अन्य को देने से साफ़ इंकार किए होने की सूचना है, जिसके चलते निचले अधिकारी कर्मचारी भी कुछ भी जानकारी देने से बचते नज़र आ रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो ज़िम्मेदार अधिकारी सिर्फ़ कमीशन के चक्कर में ऐसे कृत्यों को अंजाम दे रहें हैं साथ ही बगैर सूचना पटल बोर्ड के लगभग 3,4 किलोमीटर के गुणवत्ताहीन कार्य को सरपट दौडा द रहे हैं । कार्य को लेकर जनप्रतिनिधि और ग्रामीण अनभिज्ञ है।
वहीं बताया जा रहा है कि किसान नेता और ग्रामीण मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री से शिकायत के कयास लगाए जा रहे हैं।