• Sun. Oct 19th, 2025

असम में हो रहे मुसलमानों पर बेदखली व धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर रज़ा यूनिटी फाउंडेशन ने सौपा ज्ञापन

Share

*असम में मुसलमानों पर बेदखली और धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर जिला कोरिया कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा गया*

कोरिया/ रजा यूनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष नेयाजुद्दीन खान ने आज कोरिया कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा, जो कलेक्टर के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को प्रेषित किया जाएगा। यह ज्ञापन असम में मुसलमानों की बेदखली और धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े गंभीर मुद्दों को उठाता है। इस कदम के जरिए फाउंडेशन ने देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर अपनी चिंताएं पहुंचाने का प्रयास किया है।

*ज्ञापन का उद्देश्य*

ज्ञापन में असम में चल रहे बेदखली अभियानों पर रोक लगाने और वहां के मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने की मांग की गई है। रजा यूनिटी फाउंडेशन ने राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है, ताकि प्रभावित परिवारों को न्याय मिल सके और भारत के संविधान में प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी सुनिश्चित हो सके।

*कलेक्टर के माध्यम से प्रेषण*

ज्ञापन को कोरिया कलेक्टर के कार्यालय में औपचारिक रूप से प्रस्तुत किया गया। कलेक्टर, जो जिला प्रशासन के प्रमुख होते हैं, इस ज्ञापन को उचित सरकारी चैनलों के माध्यम से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होंगे। यह प्रक्रिया भारत में आम है, जहां स्थानीय प्रशासन के जरिए नागरिक अपनी शिकायतें या मांगें उच्च अधिकारियों तक पहुंचाते हैं।

*असम की स्थिति*

असम में हाल के वर्षों में बेदखली अभियानों ने विवाद को जन्म दिया है। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के अपडेट के बाद कई मुस्लिम परिवारों को अवैध घोषित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। इन अभियानों में हजारों परिवार बेघर हुए हैं, और धार्मिक स्थलों को भी नुकसान पहुंचने की खबरें सामने आई हैं। रजा यूनिटी फाउंडेशन का कहना है कि यह न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि संविधान द्वारा दी गई धार्मिक स्वतंत्रता पर भी हमला है।

*अपील*

आगे नेयाजुद्दीन ज्ञापन सौंपने के बाद कहा, “हमने कलेक्टर महोदय के माध्यम से माननीय राष्ट्रपति तक अपनी बात पहुंचाई है। यह एक संवैधानिक तरीका है जिससे हम उम्मीद करते हैं कि असम में हो रहे अन्याय पर ध्यान दिया जाएगा और प्रभावित लोगों को राहत मिलेगी।”

इस पहल के जरिए रजा यूनिटी फाउंडेशन ने असम के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर करने की कोशिश की है, और अब यह देखना बाकी है कि राष्ट्रपति कार्यालय इस पर क्या कदम उठाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *