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14 वर्षीय बालक पर एमएमआई नारायणा अस्पताल, रायपुर में भारत का पहला रिट्रीवेबल लीडलेस पेसमेकर इम्प्लांटेशन सफल

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जटिल हृदय रोगों से ग्रसित बच्चों के लिए दीर्घकालिक और सुरक्षित हृदय उपचार की दिशा में बड़ी उपलब्धि

रायपुर/बाल चिकित्सा हृदय देखभाल में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए, एमएमआई नारायणा अस्पताल, रायपुर ने १४ वर्षीय बालक पर भारत का पहला रिट्रीवेबल लीडलेस पेसमेकर इम्प्लांटेशन सफलतापूर्वक संपन्न किया। यह जटिल जन्मजात हृदय रोगों के उपचार में एक बड़ी प्रगति है।

इस बालक ने पहले 2 वर्ष की आयु में दिल्ली के एक अन्य अस्पताल में आरवी से एपी कंडुइट के साथ इंट्राकार्डियक रिपेयर (आईसीआर) करवाया था। 5 वर्ष की आयु में उसे कंप्लीट हार्ट ब्लॉक (सीएचबी) हो गया, जिसके बाद 29 अक्टूबर 2024 को एमएमआई नारायणा अस्पताल में ड्यूल-चैंबर पेसमेकर लगाया गया। वह सेंट्रल इंडिया में ऐसा कराने वाला सबसे कम उम्र का मरीज बना।

फरवरी 2024 में बालक को पल्स जनरेटर बदलने की आवश्यकता हुई। परंतु निकेल एलर्जी के संदेह के कारण पेसमेकर का पल्स जनरेटर बार-बार बाहर निकलने लगा, जिसके चलते लगभग 4 बार पुनः स्थिति सुधारने की आवश्यकता पड़ी। बच्चे की उम्र और भविष्य में 16-17 साल बाद बैटरी खत्म होने के बाद पुनः डिवाइस बदलने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए, कार्डियोलॉजी टीम ने रिट्रीवेबल लीडलेस पेसमेकर लगाने का निर्णय लिया।

यह प्रक्रिया 21 अगस्त 2025 को डॉ. सुमंता शेखर पाधी के नेतृत्व में, प्रोक्तर डॉ. बलबीर सिंह के सहयोग और जनरल एनेस्थीसिया के तहत सफलतापूर्वक पूरी की गई। यह उपकरण एबॉट लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया था। ऑपरेशन के बाद बच्चे को अगले ही दिन स्वस्थ अवस्था में छुट्टी दे दी गई।

“यह उपलब्धि भारत में बाल हृदय देखभाल के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय प्रगति है। रिट्रीवेबल डिज़ाइन यह सुनिश्चित करता है कि भविष्य में डिवाइस का प्रतिस्थापन अधिक सुरक्षित और कम आक्रामक होगा, जिससे बच्चे का जीवन उज्चल और स्वस्थ बनेगा,” कहा डॉ. सुमंता शेखर पाधी, वरिष्ठ सलाहकार कार्डियोलॉजी, एमएमआई नारायणा अस्पताल, रायपुर ने।

इस चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया को सफल बनाने में कार्डियोलॉजी टीम (डॉ. किंजल बक्शी, डॉ. सुनील गौनीयाल, डॉ. स्पेहिल गोस्वामी), कार्डियक सर्जिकल टीम (डॉ. हरी कुमार पीके, डॉ. मोहम्मद वसीम खान) और कार्डियक एनेस्थेटिक टीम (डॉ. अरुण अंडप्पन और डॉ. राकेश राजकुमार चंद और डॉ धर्मेश लाड) का संयुक्त योगदान रहा।

इस तरह की जटिल और अनूठी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देकर, एमएमआई नारायणा अस्पताल ने यह साबित किया है कि वह दुर्लभ और चुनौतीपूर्ण हृदय मामलों को संभालने में सक्षम है, विशेषकर बच्चों के लिए। यह उपलब्धि देश में अधिक न्यूनतम आक्रामक हृदय समाधान का मार्ग प्रशस्त करती है, जिससे मरीजों को बेहतर जीवन गुणवत्ता और दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।

एमएमआई नारायणा हॉस्पिटल के फैसिलिटी डायरेक्टर अजित बेल्लमकोंडा ने बताया की एमएमआई नारायणा अस्पताल, रायपुर विगत 14 वर्षों से स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी केन्द्र बना हुआ है, जिसमे, हमारा हृदय रोग विभाग एक स्तंभ की तरह है जो 24एक्स7 कैथ लैब सुविधा और जीवन-रक्षक हृदय उपचार प्रदान करता है।

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