“अमीर हाशमी ने जामिया विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सीएसआर और राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर किया विमर्श”

नई दिल्ली/जामिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के शिक्षक प्रशिक्षण एवं शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित जामिया अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन (JICE-2025) में प्रतिष्ठित लेखक, फिल्मकार अमीर हाशमी ने “शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम में विविधता लाने में कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) की संचार रणनीतियाँ” विषय पर अपना रिसर्च प्रस्तुत किया। अमीर हाशमी ने अपने रिसर्च में 2022 से सतत प्रेक्षण विधि के माध्यम से छत्तीसगढ़ और झारखंड राज्यों के सुदूर ग्रामीण एवं आदिवासी क्षेत्रों में रहकर गहन अध्ययन किया, जिसके निष्कर्ष इस रिसर्च के माध्यम से साझा किए गए।
अपने प्रस्तुतिकरण के दौरान अमीर हाशमी ने यह रेखांकित किया कि किस प्रकार प्रभावी कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व संचार रणनीतियाँ शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को अधिक व्यापक, सशक्त और समुदायोन्मुख बना सकती हैं। उन्होंने विशिष्ट उदाहरणों के आधार पर यह दर्शाया कि किस तरह पारदर्शी संवाद एवं प्रभावी संचार के माध्यम से वंचित समुदायों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाई जा सकती है। हाशमी के अनुसार, कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व की सफलता केवल वित्तीय सहायता पर निर्भर नहीं करती, बल्कि यह समुदाय के साथ जमीनी स्तर पर स्थापित होने वाले सार्थक संवाद पर आधारित होती है।
अपने विश्लेषण में अमीर हाशमी ने टाटा स्टील, नुवाको सीमेंट, एनटीपीसी और साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड जैसी कंपनियों के CSR प्रयासों का विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत किया। उन्होंने यह दर्शाया कि कैसे इन कंपनियों ने शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में नवाचार को बढ़ावा दिया है। साथ ही, उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, कार्यशालाओं एवं स्थानीय नेतृत्व विकास जैसे माध्यमों को सीएसआर पहलों की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण साधन बताया। संचार प्रक्रिया में समुदाय की सक्रिय भागीदारी को उन्होंने परिवर्तन का केंद्रीय कारक बताया।
हाशमी ने सीएसआर संवाद की बहुस्तरीय संरचना का विश्लेषण करते हुए कहा कि इसका वास्तविक प्रभाव तभी संभव है जब संवाद प्रचार तक सीमित न रहकर शिक्षक, विद्यार्थी, अभिभावक और नीति निर्माताओं के बीच जीवंत सहभागिता के रूप में स्थापित हो। उन्होंने सीएसआर को एक ‘सामाजिक साझेदारी’ के रूप में विकसित करने पर बल दिया, जिसमें सतत संवाद, निरंतर प्रतिक्रिया और सुधार की प्रक्रिया अनिवार्य है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के संदर्भ में अमीर हाशमी ने कहा कि सीएसआर पहलों को समावेशी शिक्षा, डिजिटल दक्षता तथा क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप उन्मुख करना आवश्यक है। उन्होंने यह सुझाव दिया कि शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में स्थानीय भाषाओं, सांस्कृतिक पहचान एवं समुदाय विशेष की शिक्षा संबंधी आवश्यकताओं को समाहित कर सीएसआर परियोजनाओं को अधिक प्रासंगिक एवं परिणामोन्मुखी बनाया जा सकता है।
अपने निष्कर्षों में हाशमी ने यह स्पष्ट किया कि सीएसआर परियोजनाओं का मूल्यांकन केवल व्यय या भौतिक संरचनाओं के निर्माण के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि दीर्घकालीन प्रभावों — जैसे शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार, छात्रों के अधिगम स्तर में वृद्धि तथा शिक्षा के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन — के आधार पर किया जाना चाहिए। उन्होंने सीएसआर कार्यक्रमों के सतत निगरानी एवं हितधारक आधारित सुधार मॉडल को अपनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
अमीर हाशमी की इस रिसर्च पर सम्मेलन में उपस्थित प्रतिष्ठित शिक्षाविदों — जामिया मिलिया इस्लामिया के कुलपति प्रोफेसर मज़हर आसिफ, प्रोफेसर जैसी अब्राहम, डॉ. इरम खान, प्रोफेसर सरोज शर्मा (पूर्व कुलपति, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार), लेफ्टिनेंट कमांडर विनोद सिंह यादव, प्रोफेसर सारा बेगम और प्रोफेसर जसीम अहमद — ने विशेष रुचि दिखाई तथा गहन विमर्श किया। सभी ने हाशमी के गहन क्षेत्रीय अनुभव, व्यावहारिक दृष्टिकोण और सीएसआर संचार के नवाचार पर आधारित विश्लेषण की प्रशंसा की तथा इसे अत्यंत प्रेरणास्पद और शिक्षा नीति में नवाचार हेतु उपयोगी बताया।
सम्मेलन के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय द्वारा एक विशेष सत्र का भी आयोजन किया गया, जिसमें शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनौपचारिक शिक्षा विभाग, शिक्षा संकाय की अध्यक्ष प्रोफेसर नजमा अमीन के नेतृत्व में विभिन्न बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों ने सहभागिता की। इस सत्र में शिक्षा, कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व तथा नीति निर्माण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर व्यापक विमर्श हुआ, जिससे सम्मेलन की विषयवस्तु को एक सार्वभौमिक और बहुआयामी दृष्टिकोण प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर अमीर हाशमी ने अपनी ओर से जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय को उनकी पूर्व प्रकाशित पुस्तक “जोहर गांधी” भेंट स्वरूप प्रदान की। यह पुस्तक छत्तीसगढ़ के मूल स्वतंत्रता सेनानियों, महिला स्वतंत्रता सेनानियों तथा आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संघर्षों और योगदानों पर आधारित है। हाशमी ने यह कृति विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग, शिक्षा विभाग एवं पुस्तकालय को समर्पित करते हुए छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता संग्राम की गौरवगाथा को शैक्षणिक जगत से जोड़ने का प्रयास किया।
सम्मेलन के सफल आयोजन हेतु विशेष धन्यवाद जामिया मिलिया इस्लामिया के कुलपति प्रोफेसर मज़हर आसिफ को दिया गया, जिनके सशक्त नेतृत्व और प्रेरणा से JICE-2025 जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वतापूर्ण मंच का आयोजन संभव हो सका। उल्लेखनीय है कि प्रोफेसर मज़हर आसिफ भारत सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) प्रारूप निर्माण समिति के भी एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं।
JICE-2025 के इस अवसर पर “डायवर्सिफाइड टीचर एजुकेशन” नामक पुस्तक का भी भव्य विमोचन संपन्न हुआ, जिसमें अमीर हाशमी द्वारा किए गए सम्पूर्ण रिसर्च को समाहित किया गया है। इस पुस्तक का विमोचन कुलपति प्रोफेसर मज़हर आसिफ, प्रोफेसर जैसी अब्राहम, डॉ. इरम खान, प्रोफेसर सरोज शर्मा, लेफ्टिनेंट कमांडर विनोद सिंह यादव, प्रोफेसर सारा बेगम और प्रोफेसर जसीम अहमद के करकमलों द्वारा संपन्न हुआ। यह पुस्तक अब अमेज़न सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है और शिक्षा तथा कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के क्षेत्र में रुचि रखने वाले शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में मान्य होगी।