• Fri. Oct 17th, 2025

अमीर हाशमी ने ‘बोलती नदी 2030’ विज़न का अनावरण किया

Share

छत्तीसगढ़ की नदियों के पुनर्जीवन और जल संरक्षण के लिए मीर फाउंडेशन ने एक ऐतिहासिक पहल करते हुए ‘बोलती नदी 2030’ विज़न का अनावरण किया

रायपुर/छत्तीसगढ़ की नदियों के पुनर्जीवन और जल संरक्षण के लिए मीर फाउंडेशन ने एक ऐतिहासिक पहल करते हुए ‘बोलती नदी 2030’ विज़न का अनावरण किया। यह कार्यक्रम रायपुर के होटल ट्यूलिप में आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अवसर पर मीर फाउंडेशन के संस्थापक और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित अमीर हाशमी ने ‘बोलती नदी 2030’ के तहत जल संरक्षण, नदी पुनर्जीवन और समुदाय आधारित सतत विकास के लक्ष्यों को विस्तार से प्रस्तुत किया।

छत्तीसगढ़ की सकरी नदी के पुनर्जीवन की दिशा में मीर फॉउंडेशन का वैश्विक प्रयास

इस कार्यक्रम का आयोजन कॉमनलैंड प्रोग्राम के तहत किया गया, जो एक प्रतिष्ठित वैश्विक पहल है। कॉमनलैंड एक ऐसी संस्था है जो संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDGs) के तहत कार्य करती है। इसका उद्देश्य अगले 20 वर्षों के भीतर पारिस्थितिकी तंत्र के पुनर्जीवन की दिशा में कार्य करना है। कॉमनलैंड पहले भी दुनिया के कई हिस्सों में पर्यावरण तंत्र के पुनर्जीवन के लिए कार्य कर चुकी है।

इस पहल के माध्यम से मीर फाउंडेशन छत्तीसगढ़ की नदियों के संरक्षण और पुनर्जीवन की दिशा में वैश्विक मंच पर एक नया उदाहरण पेश कर रहा है। अमीर हाशमी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि अब वही वैश्विक संस्थाएं और इम्प्लीमेंटिंग एजेंसियां सकरी नदी के पुनर्जीवन के लिए छत्तीसगढ़ में सक्रिय हो चुकी हैं। उन्होंने कॉमनलैंड, नीदरलैंड की टीम और सभी साझेदारों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने सकरी नदी के पुनर्जीवन के लिए सहयोग दिया है।

बोलती नदी 2030′ विज़न: एक व्यापक कार्ययोजना

‘बोलती नदी 2030’ विज़न का मूल उद्देश्य छत्तीसगढ़ की नदियों को उनके प्राकृतिक स्वरूप में लौटाना और इससे जुड़े हुए स्थानीय समुदायों के जीवन स्तर को सुधारना है। मीर फाउंडेशन के इस विज़न के तहत निम्नलिखित प्रमुख लक्ष्य तय किए गए हैं:

  1. सकरी नदी का पुनर्जीवन – सकरी नदी, जो कवर्धा और बेमेतरा जिलों से होकर बहती है, इस पहल की प्राथमिकता है। अमीर हाशमी के नेतृत्व में 2019 में सकरी नदी के पूरे प्रवाह क्षेत्र का गहन अध्ययन किया गया। इस दौरान 90 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर नदी के जल स्तर, कृषि पर प्रभाव, जैव विविधता और ऐतिहासिक पहलुओं का विश्लेषण किया गया। इस अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर सकरी नदी के पुनर्जीवन के लिए एक ठोस कार्य योजना तैयार की गई है।
  2. अवैध रेत खनन पर नियंत्रण – विज़न डॉक्यूमेंट में अवैध रेत खनन को रोकने के लिए एक प्रभावी नीति की मांग की गई है। अमीर हाशमी ने सुझाव दिया है कि जिस प्रकार वनों की लकड़ियों की बिक्री डिपो प्रणाली के तहत नीलामी द्वारा की जाती है, उसी प्रकार रेत की बिक्री भी डिपो प्रणाली के माध्यम से होनी चाहिए। इससे अवैध खनन पर रोक लगेगी और नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान से बचाया जा सकेगा।
  3. कृषि आधारित आजीविका का संवर्धन – नदी के किनारे बसे ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित आजीविका के अवसरों को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए जैविक खेती, जल प्रबंधन और वनीकरण को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे न केवल स्थानीय किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि नदी के आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र को भी संरक्षित किया जा सकेगा।
  4. जनमत निर्माण और सामाजिक सहयोग – विज़न डॉक्यूमेंट का एक प्रमुख लक्ष्य जनमत निर्माण के माध्यम से नदी संरक्षण को एक जन आंदोलन में बदलना है। मीर फाउंडेशन की भूमिका और पूर्व उपलब्धियां
    मीर फाउंडेशन, जो 2011 से सक्रिय है, ने इससे पहले भी सामाजिक और पर्यावरणीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 2019 में, मीर फाउंडेशन ने अन्य संस्थाओं के सामंजस्य के साथ 15 किलोमीटर लंबे तिरंगे का प्रदर्शन कर एक विश्व रिकॉर्ड बनाया था, जिसमें 400 से अधिक संस्थाओं की सहभागिता रही। इस उपलब्धि ने सामाजिक एकता और जन सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।

‘बोलती नदी’ अभियान की शुरुआत 2016 इसी सामाजिक सहयोग की भावना से की गई थी। पहले इस अभियान को शहरी मॉडल के रूप में शुरू किया गया था, जिसमें 16 से अधिक जिलों के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्कूलों के दो लाख से अधिक छात्रों को जागरूक किया गया। अब इस पहल को ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तारित किया जा रहा है, जहां स्थानीय समुदायों को नदी संरक्षण और जल प्रबंधन के प्रति जागरूक किया जा रहा है।

अमीर हाशमी का दीर्घकालिक लक्ष्य केवल सकरी नदी का पुनर्जीवन नहीं है, बल्कि इस मॉडल को पूरे राज्य में लागू करने की योजना है। उन्होंने कहा, “यदि 2030 तक सकरी नदी को पुनर्जीवित किया जा सका, तो यह मॉडल अन्य नदियों के लिए भी एक प्रेरणा बनेगा।” उनका मानना है कि इस प्रयास में केवल सरकार की भूमिका पर्याप्त नहीं होगी, बल्कि जनता, सामाजिक संगठनों और उद्योगपतियों की भागीदारी भी जरूरी है।

मीर फाउंडेशन का ‘बोलती नदी 2030’ विज़न छत्तीसगढ़ की नदियों के पुनर्जीवन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इस प्रयास के माध्यम से छत्तीसगढ़ को एक बार फिर ‘धान का कटोरा’ के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *