छत्तीसगढ़ मध्यान्ह भोजन मजदूर एकता यूनियन (सीटू)ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल गांधी मैदान में दो दिवसीय धरना प्रदर्शन कर एसडीएम को अपनी 11 सूत्री मांगों का ज्ञापन सौपा।

धमतरीं / छत्तीसगढ़ मध्यान्ह भोजन मजदूर एकता यूनियन (सीटू) ने राज्य सरकार को जुलाई में एक मांग पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें 11 प्रमुख मांगें शामिल थीं। मजदूरों को चुनाव पूर्व यह वादा किया गया था कि सरकार बनने के बाद उनके मानदेय में 50 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी, लेकिन यह वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इसके अलावा, रसोईया सहायिकाओं को जुलाई और अगस्त माह का मानदेय भी अभी तक नहीं मिला है, जिससे उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, खासकर राज्य के प्रमुख त्यौहार तीजा पर्व के दौरान।

संघ ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया, तो उन्हें बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। उनकी प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:
- जून माह के 15 दिनों का मानदेय दीपावली के समय आवंटित किया जाए और जुलाई-अगस्त का मानदेय तुरंत दिया जाए।
- बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार रसोईया सहायिकाओं को प्रतिदिन ₹306.67 का भुगतान किया जाए।
- चुनाव घोषणा पत्र के अनुसार मानदेय में 50 प्रतिशत की वृद्धि कर ₹3450 प्रति माह का आदेश तुरंत जारी किया जाए।
- हिमाचल सरकार की तरह सवैतनिक प्रसूति अवकाश का प्रावधान किया जाए।
- पंजाब सरकार की तरह 12 महीने का मानदेय दिया जाए।
- 65 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर एकमुश्त ₹2 लाख की सम्मान राशि दी जाए।
- सभी केंद्रीय रसोई घर बंद किए जाएं और विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन पकाने का आदेश दिया जाए।
- प्रत्येक रसोईया सहायिका को एक वर्ष में 2 जोड़ी वर्दी दी जाए।
- मध्यान्ह भोजन संचालित करने वाले समूहों को दी जाने वाली छात्र राशि में वृद्धि की जाए।
- स्कूली कार्य के दौरान घायल होने पर ₹50,000 और मृत्यु होने पर ₹5 लाख राहत राशि दी जाए।
- छंटनी किए गए रसोईयों को फिर से काम पर रखा जाए।
यूनियन ने आशा जताई है कि राज्य सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से लेकर समाधान करेगी।