अतिक्रमण हटाने के दौरान अतिक्रमणकारियों के घरेलू सामान को पटवारी के समक्ष उन्हीं को सुपुर्द किया गया। वनोपज की जब्ती की गई। शुरुआत में अतिक्रमणकारी उग्र हुए, लेकिन विभाग द्वारा समझाइश देने पर शांत हुए। पूरी कार्रवाई संवेदनशील व शांतिपूर्ण तरीके से हुई। देवगुड़ी व अन्य धार्मिक संरचनाओं को सुरक्षित रखा गया है।
उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व क्षेत्र के जंगलों में लकड़ी की अवैध कटाई व अतिक्रमण पर संयुक्त रूप से प्रदेश के चार जिलों की महिला वनरक्षकों समेत 250 वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने 10 वर्ष बाद कार्रवाई की है। 13 अतिक्रमणकारियों को गिरफ्तार कर वन विभाग कार्रवाई में जुटी हुई है। 30 अतिक्रमणकारियों में सबसे अधिक 23 ओडिशा प्रांत के हैं। टीम में महासमुंद, कांकेर, धमतरी व कोंडागांव जिले के महिला कर्मचारी शामिल हैं।
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को टांगरान अतिक्रमण बस्ती, जो उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के 70 हेक्टेयर सघन वन क्षेत्र को काट करके बसाई गई थी। इसे चार जिलों से पहुंची महिला वनरक्षकों की टीम ने विधिवत हटाकर कार्रवाई की है। इस कार्रवाई में करीब 40 महिला वन रक्षक समेत वन प्रबंधन समिति की महिलाएं समेत 250 स्टाफ का योगदान रहा। 30 अतिक्रमणकारियों के अवैध कब्जे की भूमि को समतल किया गया।
अतिक्रमणकारियों द्वारा पिछले 10 वर्षों में लगभग 70 हेक्टेयर वन भूमि को काटकर नुकसान पहुंचाया है, जिसमें अब केवल कुछ ही पेड़ बचे हैं। वर्ष 2010-2012 की इमेजरी से पता चला है कि उस समय यह क्षेत्र सघन वन था। अतिक्रमणकारियों द्वारा यहां के कई हजार पेड़ों को कांटकर उसके ठूंठ को जला दिया गया था, ताकि देखने में भूमि बंजर दिखे।
वन विभाग के लगातार प्रयासों से मिली सफलता
23 अतिक्रमणकारी ओडिशा के थे
अतिक्रमण हटाने के दौरान अतिक्रमणकारियों के घरेलू सामान को पटवारी के समक्ष उन्हीं को सुपुर्द किया गया। वनोपज की जब्ती की गई। शुरुआत में अतिक्रमणकारी उग्र हुए, लेकिन विभाग द्वारा समझाइश देने पर शांत हुए। पूरी कार्रवाई संवेदनशील व शांतिपूर्ण तरीके से हुई। देवगुड़ी व अन्य धार्मिक संरचनाओं को सुरक्षित रखा गया है। इस मामले में 13 आरोपितों मुखियाओं को मौके से गिरफ्तार किया गया है, जिनको गुरुवार को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। 30 में से 23 अतिक्रमणकारी ओडिशा के थे और उनके वास्तविक घर नवरंगपुर में हैं। उनको समझाइश दी गई थी कि वे अपने-अपने वास्तविक घरों में वापस लौट जाए। दो अतिक्रमणकरियों के पास चार हेक्टेयर के वन अधिकार पत्र थे, लेकिन वे उस क्षेत्र से बढ़ाकर अतिरिक्त रकबे में अतिक्रमण कर रहे थे, जिन पर भी कार्रवाई की गई।